पति बाल्कनी में खड़ा खड़ा मस्ती से गा रहा था..
“पंछी बनूं उड़ता फिरुँ मस्त गगन में..
आज में आज़ाद हूँ दुनिया के चमन में..”
रसोई में से बीवी की आवाज़ आई:
“घर में ही उड़ो, सामने वाली मायके गई है।”
दुकानदार : क्या चाहिए ?
ग्राहक : मुझे बीवी से लड़ने के लिए ताकत चाहिए, हिम्मत चाहिए ,अकल भी चाहिए ।
दुकानदार : साहब को एक क्वार्टर दो, सोडा दो
और मुँगदाल का पैकेट दो पाँच वाला।
पति: अरे सुनो, मुन्ना रो रहा है चुप कराओ इसे।
पत्नी (गुस्से में):
मैं काम करू या बच्चे संभालू,
मैं इसे दहेज़ में नहीं लायी थी, खुद ही चुप करा लो।
पति : फिर रोने दे…
मैं कौनसा इसे बारात में लेकर गया था..:)
“पंछी बनूं उड़ता फिरुँ मस्त गगन में..
आज में आज़ाद हूँ दुनिया के चमन में..”
रसोई में से बीवी की आवाज़ आई:
“घर में ही उड़ो, सामने वाली मायके गई है।”
दुकानदार : क्या चाहिए ?
ग्राहक : मुझे बीवी से लड़ने के लिए ताकत चाहिए, हिम्मत चाहिए ,अकल भी चाहिए ।
दुकानदार : साहब को एक क्वार्टर दो, सोडा दो
और मुँगदाल का पैकेट दो पाँच वाला।
पति: अरे सुनो, मुन्ना रो रहा है चुप कराओ इसे।
पत्नी (गुस्से में):
मैं काम करू या बच्चे संभालू,
मैं इसे दहेज़ में नहीं लायी थी, खुद ही चुप करा लो।
पति : फिर रोने दे…
मैं कौनसा इसे बारात में लेकर गया था..:)
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